District RJN : जिला राजनांदगांव

                                                           जिला राजनांदगांव

जिले का संक्षिप्त परिचयः- 

जिला राजनांदगांव 26 जनवरी 1973 को तात्कालिक दुर्ग जिले से अलग होकर अस्तित्व में आया। राजनांदगांव को संस्कारधानी के नाम से भी जाना जाता है। रियासत काल में राजनांदगांव एक राज्य के रूप में विकसित था एवं यहां पर सोमवंशी, कलचुरी एवं मराठाओं का शासन रहा। पूर्व में यह नंदग्राम के नाम से जाना जाता था। यहां के रियासतकालीन महल, हवेली राज मंदिर एवं यहां की संास्कृतिक धरोहर इस जगह की गौरवशाली समाज, संस्कृति परंपरा एवं राजाओं की गाथाएँ कह रही हैं। राजनांदगांव साहित्य के क्षेत्र में डॉ. गजानन माधव मुक्तिबोध, डॉ. पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी एवं श्री बल्देव प्रसाद मिश्र की कर्मभूमि रही है। 1 जुलाई 1998 को इस जिले के कुछ हिस्से को अलग कर एक नया जिला कबीरधाम की स्थापना हुई। राजनांदगांव जिले का विभाजन कर 2 सितम्बर 2022 को मोहला-मानपुर-अम्बागढ़ चौकी जिला एवं 3 सितम्बर 2022 को खैरागढ़-छुईखदान-गण्डई जिला अस्तित्व में आया। जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़ राज्य के मध्य भाग में स्थित है। जिला मुख्यालय राजनांदगांव में दक्षिण-पूर्व रेलवे मार्ग स्थित है। राष्ट्रीय राज़ मार्ग 6 राजनांदगांव शहर से हो कर गुजरता है। नजदीकी हवाई अड्डा माना (रायपुर) यहां से करीब 80 किलोमीटर की दूरी पर है। 




प्राचीन इतिहासः- 

यह शहर राजनांदगांव जिला का वह हिस्सा है, जो भारत के ऐतिहासिक रूप से समृद्ध स्थानों में से एक है। गौरवशाली अतीत, सुंदर प्रकृति और संसाधनों की उपलब्धता ने राजनांदगांव को भारत के उभरते शहरों में से एक बनाया है। प्राचीन, समकालीन और शहर का इतिहास दिलचस्प और रोमांचक है। राजनांदगांव प्राचीन भारत के उन क्षेत्रों में से एक था जो पहले के दिनों में प्रकाश में नहीं आए थे। शहर द्वारा प्रसिद्ध राजवंशों जैसे सोमवंशी, कलचुरी बाद में मराठा पर शासन किया गया था। भारत के अन्य हिस्सों की तरह, राजनांदगांव भी एक संस्कृति केंद्रित शहर था। प्रारंभिक दिनों में शहर को नंदग्राम कहा जाता था। राजनांदगांव राज्य वास्तव में 1830 में अस्तित्व में आया था। बैरागी वैष्णव महंत ने राजधानी राजनंादगांव में अपनी राजधानी स्थानांतरित कर दी। शहर का नाम भगवान कृष्ण, नंद, नंदग्राम के वंशजों के नाम पर रखा गया था। हालांकि, नाम जल्द ही राजनांदगांव में बदल दिया गया था। राज्य ज्यादातर हिंदू राजाओं और राजवंशों के अधीन था। महल, सड़कों, राजनांदगांव के पुराने और ऐतिहासिक अवशेष पिछले युग की संस्कृति और महिमा दर्शाते हैं। 

ब्रिटिशकालीन राजनांदगांवः- 

राजनांदगांव अंग्रेजों के आने तक जीवंत एवं सक्रिय स्थान था। वर्ष 1865 में अंग्रेजों ने तत्कालीन शासक महंत घासी दास को राजनांदगांव के शासक के रूप में मान्यता दी। उन्हें राजनांदगांव के फ्यूडल चीफ का खिताब दिया गया और उन्हें बाद में समय पर गोद लेने का अधिकार सानद दिया गया। ब्रिटिश शासन के तहत उत्तराधिकार वंशानुगत द्वारा पारित किया गया था। बाद में नंदग्राम के सामंती प्रमुख को ब्रिटिश बहादुर द्वारा राजा बहादुर की उपाधि से सम्मानित किया गया। उत्तराधिकार राजा महंत बलराम दास बहादुर, महंत राजेंद्र दास वैष्णव, महंत सर्वेश्वर दास वैष्णव, महंत दिग्विजय दास वैष्णव जैसे शासकों को पारित किया गया। राजनांदगांव के रियासत राज्य की राजधानी शहर था और शासकों का निवास भी था। हालांकि, समय बीतने के साथ राजनांदगांव के महंत शासक ब्रिटिश साम्राज्य की कठपुतली बन गये। 

स्वतंत्रता के बाद राजनांदगांव का इतिहास :- 

राजनांदगांव संयुक्त राष्ट्र गणराज्य नामक नए स्वतंत्र देश में एक रियासत बना रहा। वर्ष 1948 में रियासत राज्य और राजधानी शहर राजनांदगांव मध्य भारत के बाद में मध्य प्रदेश के दुर्ग जिले में विलय कर दिया गया था। नांदगांव, खैरागढ़, छुईखदान एवं कवर्धा रियासत को दुर्ग जिले में शामिल किया गया। वर्ष 1973 में, राजनांदगांव को दुर्ग जिले से पृथक कर नया राजनांदगांव जिला बनाया गया था। राजनांदगांव जिले का प्रशासनिक मुख्यालय बन गया। हालांकि, 1998 में बिलासपुर जिले के एक हिस्से के साथ राजनांदगांव जिले के हिस्से को मध्य प्रदेश में एक नया जिला बनाने के लिए विलय कर दिया गया था। जिले का नाम कबीरधाम जिला रखा गया था। वर्ष 2000 में नये छत्तीसगढ़ के स्वरूप में आने के बाद राजनंादगांव एक महत्वपूर्ण शहर बन गया।

राजनांदगांव जिले का मानचित्र

 

राजनांदगांव जिले की सामान्य जानकारी

जिला का नाम :  राजनांदगांव

संभाग का नाम :  दुर्ग

अनुविभाग की संख्या एवं नाम : 03- राजनांदगांव, डोंगरगढ़, डोंगरगांव

तहसीलों की संख्या एवं नाम : 05- डोगरगढ, राजनांदगांव, छुरिया, डोगरगांव, लाल बहादुर नगर

उप तहसील की संख्या एवं नाम : 01- घुमका

विकासखण्ड एवं जनपद पंचायत का नाम : 04-डोगरगढ़, राजनांदगांव, छुरिया, डोगरगांव

लोकसभा क्षेत्र: 01-राजनांदगांव

विधानसभा क्षेत्र : 04- विधानसभा क्रमांक 74 डोंगरगढ़, विधानसभा क्रमांक 75 राजनांदगांव, विधानसभा क्रमांक 76 डोंगरगांव एवं विधानसभा क्रमांक 77 खुज्जी

कुल नगरीय निकाय : 4

नगर निगम की संख्या : 01-राजनांदगांव

नगर पालिका की संख्या एवं नाम : 01-डोंगरगढ़

नगर पंचायत  की संख्या एवं नाम : 02-छुरिया, डोंगरगांव

कुल राजस्व निरीक्षक मंडल की संख्या : 35

कुल पटवारी हल्का : 211

क्षेत्रफल : 8022.55 वर्ग किमी

कुल जनसंख्या (2011 की जनगणना के अनुसार) : 884742

लिंगानुपात : 1009

जनसंध्या घनत्व   : 273 प्रति वर्ग किलोमीटर

कुल ग्रामीण जनसंख्या : 665054

कुल नगरीय जनसंख्या  : 219688

कुल ग्राम की संख्या : 694

आबादी ग्राम : 684

वीरान ग्राम  : 5

डुबान ग्राम : 5

कुल ग्राम पंचायत की संख्या : 407

निकटतम अन्य जिला मुख्यालय का नाम  एवं दूरी: दुर्ग 28 किमी

साक्षरता प्रतिशत : 78.46 प्रतिशत

जिले के प्रसिद्ध पर्यटन एवं दर्शनीय स्थल

मां बम्लेश्वरी मंदिर डोंगरगढ़ - 

डोंगरगढ़ की पहाड़ी पर स्थित शक्तिरूपा मां बम्लेश्वरी देवी का विख्यात मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। बड़ी बम्लेश्वरी के समतल पर स्थित मंदिर छोटी बम्लेश्वरी के नाम से प्रसिद्ध है। मां बम्लेश्वरी के मंदिर में प्रति वर्ष नवरात्र के समय दो बार भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें लाखों की संख्या में दर्शनार्थी पहुंचते हैं। चारों ओर हरे भरे वनों पहाड़ियों, छोटे-बड़े तालाबों से घिरा हुआ है। डोंगरगढ़ स्थित मां बम्लेश्वरी मंदिर पर जाने के लिए सीढ़ियों के अलावा रोपवे की सुविधा भी है। डोंगरगढ़ रायपुर से 100 किलोमीटर एवं नागपुर से 190 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है तथा मुंबई-हावड़ा रेल मार्ग के अंतर्गत आता है। हावड़ा-मुंबई मुख्य रेल मार्ग पर डोंगरगढ़ रेलवे जंक्शन है।




प्रज्ञागिरी डोंगरगढ़ - 

प्रज्ञागिरी पहाड़ी पर स्थित एक बौद्ध विहार है। जिसमें पूर्व दिशा की ओर एक विशाल बुद्ध की प्रतिमा है। पहाड़ पर चढ़ने के लिए 225 सीढ़िया हैं। प्रतिवर्ष प्रज्ञागिरी में 6 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध सम्मेलन आयोजित किया जाता है।


पाताल भैरवी मंदिर (बर्फानी धाम) राजनांदगांव - 

पाताल भैरवी मंदिर माता के भक्तों के लिए व पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक विशेष श्रद्धा का केंद्र है। मां पाताल भैरवी माता दुर्गा का ही एक रूप है, जो इस मंदिर में स्थित है। मां पाताल भैरवी का यह मंदिर तीन स्तरों में बना हुआ है। जिसमें निचले स्तर पर माता पाताल भैरवी को देखा जा सकता है। दूसरे स्तर पर त्रिपुर सुंदरी का तीर्थ है। इसे नवदुर्गा भी कहा जाता है इसके पश्चात तीसरे और अंतिम स्तर शीर्ष पर भगवान शिव का विशाल शिवलिंग स्थापित किया गया हैै।



त्रिवेणी परिसर -

राजनांदगांव शहर हमारे देश के तीन महान साहित्यकारों गजानंद माधव मुक्तिबोध, डॉ. बल्देव प्रसाद मिश्र एवं पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की कर्मभूमि रही है। उनका साहित्यिक अवदान अविस्मरणीय है और उनकी स्मृतियां हमारी अमूल्य धरोहर है। त्रिवेणी संग्रहालय में देश के तीन महान साहित्यकारों की कृतियां, पाण्डुलिपि एवं वस्तुएं सुरक्षित रखी गई हैं। उनकी रचनाएं यहां संकलित की गई है। उनके डायरी के अंश तथा उनके जीवन के प्रेरक प्रसंग की जानकारी यहां अंकित है। त्रिवेणी परिसर स्थित मुक्तिबोध स्मारक संग्रहालय एवं सृजन संवाद साहित्य के प्रति रूचि रखने वाले विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों के लिए महत्वपूर्ण केन्द्र के रूप में स्थापित है।








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