ANUJ (RAMANUJ) SHARMA

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अनुज शर्मा
एक समय ऐसा था जब लोग छालीवुड का नाम भी नहीं जानते थे। लेकिन आज छालीवुड की फिल्मों को गुजराती, भोजपुरी जैसी देश की अन्य भाषाओं में डब किया जाता है। छालीवुड की फिल्मों को इतना लोकप्रिय बनाने में यहां के कुछ बेहतरीन अभिनेताओं का विशेष योगदान रहा है और इनमें से एक है रामानुज शर्मा, जिन्हें हम अनुज शर्मा के नाम से जानते हैं। अनुज शर्मा शानदार एक्टर होने के साथ ही प्रसिद्ध गायक और छत्तीसगढ़ी फिल्मों के निर्माण-निर्देशन भी है। इसके अलावा उन्होंने छत्तीसगढ़ी लोककला को लोकप्रिय बनाने के लिए रेडियो और टेलीविजन पर कई कार्यक्रमों का संचालन भी किया है। जिनमें से ई-टीवी का फोक झमाझम और एफएम रेडियो पर माय 36 डिग्री शामिल है। माय 36 डिग्री से वे पहले छत्तीसगढ़ी आरजे कहलाये। अनुज नाईट और आरूग बैण्ड के द्वारा छत्तीसगढ़ के साथ-साथ देश के अन्य राज्यों में 300 से भी ज्यादा स्टेज शो कर चुके है। अपनी बेहतरीन एक्टिंग और सिंगिंग के कारण उन्हें 4 बार बेस्ट एक्टर (मोर छंइया  भुईया-2003, झन भूलौ मां बाप ला-2005, महू दिवाना तहूं दिवानी-2010, राजा छत्तीसगढ़िया-2016), बेस्ट प्ले बैक सिंगर (अंगना-2002), मोस्ट पापुलर एक्टर ( महू दिवाना तहूं दिवानी-2013) अवार्ड दिया जा चुका है। संस्कृति विभाग छत्तीसगढ़ शासन द्वारा आयोजित छत्तीसगढ़ी फिल्म फेस्टिवल में उन्हें बेस्ट एक्टर (मोर छंइया भुंईया-2002) का अवार्ड दिया गया है। साथ ही वह स्वच्छ भारत अभियान में प्रदेश के नौ रत्नों में शामिल है। भारत सरकार ने उन्हें 2014 में पद्श्री सम्मान से भी नवाजा है। इसके अलावा वे कई अवार्ड अपने नाम कर चुके है।
छत्तीसगढ़ी सिनेमा के पहले सुपरस्टार अनुज शर्मा के सफलता के पीछे लंबे संघर्ष की कहानी। 15 मई 1976 को छत्तीसगढ़ के भटापारा रायपुर में अनुज शर्मा का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम टेकेन लाल शर्मा, जो एक बैंक कर्मचारी थे और मां का नाम देहुति शर्मा है। इसके अलावा उनके दो बड़े भाई और एक बड़ी बहन भी है। उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई भाठापारा के स्थानीय सरकारी स्कूल से पूरी करने के बाद 1998 में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर से इतिहास में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद उन्होंने लॉ की पढ़ाई की, लेकिन फिल्मों की शुटिंग से समय न मिलने के कारण अपनी एलएलबी की डिग्री पूरी नहीं कर पाएं। महज 10 साल की उम्र में अभिनय और गायन शुरूआत करने वाले अनुज शर्मा ने पहली बार अपने स्कूल के प्रोगाम में स्टेज परफॉरमेंस मौका मिला। बचपन में ही वे म्यूजिकल ग्रुपों से जुड़ कर अपने सिंगिक टैलेंट को निखारने में लगे रहे। इसी बीच सातवीं क्लास में ऑल इंडिया रेडियो पर एक प्रतियोगिता में गाने का मौका भी मिला। 
              जब वे 5वीं क्लास में थे तो गर्मियों की छुट्टी में घर की जरूरतों के लिए उन्हें सड़कों पर पीपरमेंट भी बेचना पड़ा। उनके जीवन में सबसे दुखद मोड़ 13 साल की उम्र में तब आया जब उनके पिताजी की अचानक मृत्यु हो गयी और पूरे परिवार की जिम्मेदारी उनके मां पर आ गयी। यही से उनकेे संघर्ष का दौर शुरू हुआ और उनका पूरा परिवार 1993 में भाठापारा से रायपुर शिफ्ट हो गया। रायपुर शिफ्ट होने के बाद कॉलेज की पढ़ाई के साथ म्यूजिक सीखते हुए उन्होंने नौकरी भी की। उन्हें सबसे पहले साइकिल से घर-घर जाकर समाचार पत्रों के सर्वे का काम मिला। लेकिन इस काम में पैसे कम मिलने के कारण उन्होंने यह काम छोड़ दिया और एक शो रूम में सेल्स मेन की नौकरी करते हुए कॉलेज और संगीत की पढ़ाई भी करते रहे और यही पर उन्हें अनुज नाम मिला। अनुज शर्मा अपने कॉलेज में एक्टिंग और सिंगिंग के लिए पहचाने जाते थे। इसी बीच सतीश जैन छत्तीसगढ़ी फिल्म बनाने के लिए एक चेहरे की तलाश में थे। उनके दोस्तों ने उनके टैलेंट को देखते हुए सतीश जैन से मिलने की सलाह दी। दोस्तों की सलाह पर वे सतीश जैन से मिले और सतीश जैन ने उन्हें अपनी फिल्म के लिए सेलेक्ट कर लिया। लेकिन जब अनुज शर्मा को फिल्म में स्मोकिंग सीन के बारे में बताया गया तो उन्होंने इस सीन को करने से साफ मना कर दिया और सतीश जैन ने भी उनकी इस बात का सम्मान करते हुए इस सीन को फिल्म से हटा दिया। इस तरह इस फिल्म की शुटिंग पूरा करने बाद अनुज शर्मा वापस अपने नौकरी पर चले गये और 27 अक्टूबर 2000 को छत्तीसगढ़ की पहली कलर फिल्म मोर छंइया भुंईया सिनेमा घरों में रिलीज हुई। इस फिल्म से अनुज शर्मा छत्तीसगढ़ी सिनेमा के पहले सुपर स्टार और छत्तीसगढ़ युवाओं के चहेते बन गये। इस फिल्म में कई रिकार्ड अपने नाम किए। यह फिल्म रायपुर के बाबूलाल टाकीज में 106 दिन लगातार 5 शो में चली और सफलतापूर्वक 27 सप्ताह तक चल कर शोले और जय संतोषी मां जैसी फिल्मों के रिकार्ड भी तोड़े। वहीं नयापारा और राजिम के एक-एक सिनेमा हाल में पूरे 24 घंटे में आठ शो का एक अनूठा रिकार्ड भी बनाया। लेकिन इस फिल्म की सफलता के बाद अनुज शर्मा को सौहरत तो मिल गई, लेकिन दौलत नहीं। छत्तीसगढ़ी सिनेमा के पहले सुपर स्टार के पास न ही गाड़ी थी और न ही रहने के लिए अपना घर, यहां तक की उनके पास पहनने के लिए अच्छे कपड़े भी नहीं थे। अनुज शर्मा बचपन से ही सैनिक बनने का सपना देखा करते थे। जिसके लिए उन्होंने स्कूल में स्काउट गाईस ज्वाईन किया और 1992 राष्ट्रपति अवार्ड भी मिला। वे 1997 में एनसीसी में ऑलइंडिया बेस्ट कैडेट भी रह चुके है। इसके अलावा उनके पास 1998 में एनसीसी का सी सर्टिफिकेट भी है। मोर छंईया भुंईया फिल्म की सफलता के बाद अपने सपने को पूरा करने के लिए वे ऐयर फोर्स के इंटरयू के लिए गये लेकिन किसी कारण वे सेलेक्टर नहीं हो पाए। जिसका सपना वे बचपन से देखा करते थे, इस सपने को टूटता देख वे काफी दुःखी हुए। फिर उन्होंने अपना कैरियर एक्टिंग में बनाने का फैसला लिया। लेकिन इस फैसले पर उनका किसी ने साथ नहीं दिया और लोगों ने उनकी आलोचना भी की। लोगो की बातों का परवाह न करते हुए, नौकर छोड़कर अपना पूरा ध्यान एक्टिंग में लगाया। अनुज शर्मा छत्तीसगढ़ के ऐसे पहले कलाकार है, जिन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़कर छत्तीसगढ़ी फिल्म अभिनेता के रूप में अपने कैरियर को चुना। और उनकी 2001 में मया देदे मया लेले फिल्म सिनेमा घरों में रिलीज हुई। उनकी दूसरी फिल्म भी सुपर हिट साबित हुई और इसके बाद अनुज शर्मा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एक के बाद छत्तीसगढ़ी हिट फिल्में बनाते आ है। 
            अनुज शर्मा ने लगभग 30 से अधिक फिल्मों में अभियन किया, जिनमें छत्तीसगढ़ी फिल्मों के साथ भोजपुरी, हिन्दी फिल्में भी शामिल है। इनकी फिल्मों को संबलपुरी, झारखंडी, बुंदेलखंडी, गुजराती और भोजपुरी जैसी कई अन्य भाषाओं में भी डब किया जाता है। वे छत्तीसगढ़ के पहले अभिनेता है जिनकी चार फिल्में (मोर छईहां भुइयां, मया दे दे मया लेले, इन भूलव मां बाप ला और मया) सिल्वर जुबली रही है। वहीं अपने सिंगिग कैरियर में उन्होंने अब तक 200 से भी ज्यादा फिल्मी और लोक गीत गा चुके हैं। साथ ही उनके निजी जीवन की बात करें तो उन्होंने 2007 में डॉ. स्मिता शर्मा से शादी की और उनके दो बेटियां अनुमिता शर्मा और आरूग शर्मा है। तो दोस्तों अनुज शर्मा छत्तीसगढ़ के सबसे लोकप्रिय अभिनेता होने के साथ ही छत्तीसगढ़ी फिल्म उद्योग में अपनी बेबाक राय और अपनी शर्तों पर काम करने के लिए जाने जाते है।




NOTE :- This video is based on internet research, we do not claim, it is completely correct.


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