साहित्य में छत्तीसगढ़ का उल्लेख

साहित्य में छत्तीसगढ़ का उल्लेख



छत्तीसगढ़ नाम का सर्वप्रथम प्रयोग - 
सल्तनत काल में खैरागढ़ के राजा लक्ष्मीनिधि राय के काल में कवि दलराम राव ने 1494 में छत्तीसगढ़ नाम का सर्वप्रथम प्रयोग किया था, हो सकता है सल्तनत काल में इस क्षेत्र के लिए छत्तीसगढ़ नाम का उपयोग किया जाना प्रारंभ हो गया हो।
'लक्ष्मीनिधि राय सुनो चित दे, गढ़ छत्तीस में न गढैय़ा रहीÓ


खूब तमाशा - 
राजनीतिक संदर्भों में छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग पहली बार राजा राजहिसं के राजाश्रय में 1686 ई. रतनपुर के कवि गोपालचंद मिश्र द्वारा रचित खूब तमाशा में छत्तीसगढ़ नाम का उल्लेख है।
बरन सकल पुर देव देवता नर नारी रस रस के
बसय छत्तीसगढ़ कुरी सब दिन के रस वासी बस बस के ।

विक्रम विलास - 
इसी प्रकार 1896 में बाबू रेवाराम ने विक्रम विलास नामक ग्रंथ में छत्तीसगढ़ शब्द का प्रयोग किया है।
तिनमें दक्षिण कोसल देसा, जहां हरि औतु केसरी बेसा,
तासु मध्य छत्तीसगढ़ पावन, पुण्यभूमि सुर मुनिमन भावन।

छत्तीसगढ़ शिलालेख - 
दंतेवाड़ा के दंतेश्वरी मंदिर के गर्भ गृह के प्रवेश द्वार की दीवार पर छत्तीसगढ़ी शिलालेख है। इतिहासविद् डॉ. रमेन्द्रनाथ मिश्र ने इस शिलालेख को 31 मार्च 1702 में बस्तर क्षेत्र के तत्कालीन राजा के राजगुरू और मैथिल पंडित भगवान मिश्र द्वारा लिखा बताया है।

बिलासपुर गजेटियर - 
1910 के बिलासपुर डिस्ट्रिक्ट गजेटियर (संपादक - ए.ई. नेल्सन) के अनुसार कैप्टन ब्लंट ने 1795 में छत्तीसगढ़ से राजामुन्द्री की यात्रा की तथा अपने विवरण में छत्तीसगढ़ का उल्लेख किया।

नागपुर कर भोंसल्याची  बखर - 
मराठा ऐतिहासिक संदर्भ में छत्तीसगढ़ का प्रथम उल्लेख 1707 ई. के सनद में मिलता है। जिसका वर्णन काशी नाथ गुप्ते ने द्वारा रचित नागपुर कर भोंसल्याची बखर में किया गया है। 


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