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छत्तीसगढ़ का नामकरण

छत्तीसगढ़ का नामकरण


छत्तीसगढ़ का नामकरण 
  • छत्तीसगढ़ के लिए छत्तीसगढ़ नाम कब से प्रयोग में लाया जा रहा है, इस संबंध में प्रमाणित जानकारी नहीं है। किन्तु विभिन्न प्रमाणों एवं जनश्रुतियों के आधार पर छत्तीसगढ़ नामकरण को सिद्ध करने का प्रयास किया गया है। 
दक्षिण कोसल - 
  • रामायण काल में छत्तीसगढ़ के मैदानी भाग एवं आस-पास के कुछ क्षेत्रों को मिलाकर दक्षिण कोसल कहा जाता था। जिसका वर्णन वाल्मिकी द्वारा रचित रामायण में उत्तर कोसल एवं दक्षिण कोसल के रूप में उल्लेख है।
कोसल - 
  • कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम् में कोसल और उत्तर कोसल का वर्णन है। जिससे कहा जा सकता है कि कालिदास के युग में अवध को उत्तर कोसल एवं छत्तीसगढ़ को कोसल कहा जाता होगा। 
महाकोसल - 
  • प्रसिद्ध पुरातत्ववेत्ता अलेकजेंडर कनिंघम ने अपनी पुरातात्विक रिपोर्ट आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया में छत्तीसगढ़ के लिए महाकोसल शब्द का प्रयोग किया है। किन्तु प्रदेश से प्राप्त ताम्रपत्रों, अभिलेखों, मुद्राओं तथा धार्मिक ग्रंथों में कहीं भी छत्तीसगढ़ के लिए महाकोसल शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है। हो सकता है कि दक्षिण कोसल को उत्तर कोसल से महान बताने के लिए महा शब्द का प्रयोग किया जाता हो।
चेदिसगढ़ - 
  • रायबहादुर हीरा लाल का तर्क देते हुए कहा है कि प्रदेश में चेदी वंशीय राजाओं का राज्य था। जिससे छत्तीसगढ़ का क्षेत्र चेदिसगढ़ कहलाया। यही चेदिसगढ़ बिगड़ कर छत्तीसगढ़ हो गया। 
छत्तीसघर - 
  • अलैक्जेंडर कनिंधम के सहयोगी बेगलर ने छत्तीसगढ़ के सर्वेक्षण कर छत्तीसगढ़ के लिए जनश्रुतियों का उल्लेख किया है। उनका मानना था कि राजा सरासंध के कार्यकाल में 36 चर्मकारों के परिवार इस क्षेत्र मेंं आकर बस गए और इन्हीं परिवारों ने एक पृथम राज्य छत्तीसघर स्थापना की। जो कालांतर में विकसित होकर छत्तीसगढ़ कहलाया। 
36 गढ़ - 
  • कलचुरि शासन काल में शिवनाथ नदीं के उत्तर में 18 गढ़ रतनपुर शाखा के अधीन थे तथा शिवनाथ नदी के दक्षिण में 18 गढ़ रायपुर शाखा के अधीन थे। इन 36 गढ़ों के कारण ही वर्तमान छत्तीसगढ़ को छत्तीसगढ़ कहा गया होगा। 
रतनपुर - 
  • मुगल काल में छत्तीसगढ़ क्षेत्र के लिए रतनपुर राज्य शब्द का प्रयोग किया गया है।