छत्तीसगढ़ राज्य का गठन
1854
- 1854 के पूर्व छत्तीसगढ़ का भू-भाग मराठों के अधीन नागपुर राज्य का एक भाग था।
- 1854 में हड़प नीति (1848) के तहत डलहौजी ने नागपुर राज्य सहित छत्तीसगढ़ को भी अधिग्रहण कर ब्रिटिश राज्य में मिला लिया।
1861
- 1861 में मध्यप्रांत का गठन किया गया जिसमें छत्तीसगढ़ भू-भाग को शािमल किया गया।
- 1861 में रायपुर एवं बिलासपुर को जिला बनाया गया।
1862
- 1862 में छत्तीसगढ़ को संभाग बनाया गया, जिसमें रायपुर, बिलासपुर एवं संबलपुर जिले को शामिल किया गया। संबलपुर 1862 के पहले बंगाल प्रांत में था।
1905
- 1905 में बंगाल प्रांत एवं मध्यप्रांत का पुनर्गठन हुआ और संबलपुर ओडि़सा राज्य में शामिल हो गया।
- 1905 में जशपुर, सरगुजा, चांगभखार व कोरिया को मिलाने से छत्तीसगढ़ की सीमाएं सुस्पष्ट हुई।
- 1905 में छत्तीसगढ़ का पृथम मानचित्र बना।
1918
- 1918 में छत्तीसगढ़ की प्रथम कल्पना पंडित सुन्दरलाल शर्मा ने की थी। उन्हें छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वप्नद्रष्टा भी कहा जाता है।
1924
- 1924 पहली बार रायपुर जिला परिषद् की बैठक में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का प्रस्ताव लाया गया।
1939
- 1939 में सुभाष चंद्र बोस की अध्यक्षता में त्रिपुरी (जबलपुर) में आयोजित कांग्रेस के 53वां अधिवेशन में पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग की गई।
1947
- 1947 स्वतंत्रता के समय छत्तीसगढ़ क्षेत्र सेन्ट्रल प्राविन्स (मध्यप्रांत) एवं बरार का हिस्सा था।
1948
- 1948 में छत्तीसगढ़ के प्रमुख 14 रियासतोंका भारत में विलय कर लिया गया, जिससे छत्तीसगढ़ की सीमाओं का विस्तार हुआ।
1953
- 1953 में फजल अली की अध्यक्षता में भाषायी आधार पर राज्यों के पुनर्गठन हेतु गठित राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष छत्तीसगढ़ राज्य की मांग रखी गई।
1955
- 1955 में मध्य प्रांत की विधान सभा में रायपुर के विधायक ठा. रामकृष्ण सिंह द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण की मांग की गई।
1956
- 28 जनवरी 1956 में डॉ. खूबचंद बघेल की अध्यक्षता में राजनांदगांव में छत्तीसगढ़ महासभा का आयोजन हुआ तथा नेताओं द्वारा छत्तीसगढ़ की मांग की गई।
- 1 नवम्बर 1956 को मध्य प्रदेश राज्य का गठन किया गया तथा छत्तीसगढ़ इसका हिस्सा बना।
1967
- 1967 में रायपुर में सम्मेलन आयोजित किया गया तथा राष्ट्रपति से पृथक राज्य छत्तीसगढ़ की मांग की गई।
- 1967 राज्यसभा सदस्य डॉ. खूबचंद बघेल ने छत्तीसगढ़ के निर्माण के लिए जन-आंदोलन रूप देते हुए छत्तीसगढ़ भ्रातृसंघ की स्थापना की।
- 1967 में शंकर गुहा नियोगी द्वारा छत्तीसगढ़ मुक्ति मोर्चा का गठन के पश्चात् छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण आंदोलन में तेजी आई।
1993
- 1993 में रवीन्द्र चौबे द्वारा मध्य प्रदेश विधानसभा में शासकीय प्रस्ताव लाया गया।
1994
- 1994 में मध्यप्रदेश विधानसभा में विधायक गोपाल परमार ने अशासकीय संकल्प पारित किया।
1998
- 1998 में संसद के संयुक्त अधिवेशन में राष्ट्रपति श्री के.आर. नारायण ने मध्यप्रदेश से पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की।
- 01 मई 1998 को मध्यप्रदेश विधानसभा में छत्तीसगढ़ निर्माण के लिए सहमति प्रदान की। (तत्कालिन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह)
- 01 सितम्बर को मध्यप्रदेश विधानसभा ने राष्ट्रपति द्वारा भेजे मध्यप्रदेश पुनर्गठन विधेयक, 1998 में लगभग 40 संशोधनोंके साथ वापस राष्ट्रपति को भेजा।
2000
- राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने चुनावी एजेंडा के तहत मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 को 25 जुलाई 2000 को तत्कालिन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवानी द्वारा लोकसभा में प्रस्तुत किया गया।
- 31 जुलाई 2000 को इस अधिनियम को लोकसभा में पारित दिया गया।
- 03 अगस्त 2000 को मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 को राज्य सभा में प्रस्तुत किया गया।
- 09 अगस्त 2000 को इस अधिनियम को एक संशोधन (छत्तीसगढ़ में राज्य सभा की सीटों से संबंधित) के साथ पारित कर दिया गया।
- 10 अगस्त 2000 को राज्य सभा द्वारा किए गए संशोधन को लोकसभा ने स्वीकार कर दिया।
- 28 अगस्त को राष्ट्रपति श्री के.आर. नारायण द्वारा अनुमोदित कर दिया गया। (तत्कालिन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी)
- इस प्रकार मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम, 2000 बना। जो भारत के राजपत्र में अधिनियम संख्या 28 वर्ष 2000 के रूप में अधिसूचित है।
- 01 नवम्बर 2000 छत्तीसगढ़ देश का 26वां राज्य बना।
01 नवम्बर 2000 के समय छत्तीसगढ़ में
- संभाग की संख्या - 3
- जिलों की संख्या - 16
- तहसीलों की संख्या - 96
- विकासखंडों की संख्या - 146
- छत्तीसगढ़ का निर्माण भारतीय संविधान के 84वां संविधान संशोधन द्वारा हुआ है।
- भारतीय संविधान अनुच्छेद -3 के तहत छत्तीसगढ़ राज्य का गठन किया गया है।
- मातृ राज्य मध्यप्रदेश से 44 वर्ष बाद पृथक होकर छत्तीसगढ़ राज्य का निर्माण हुआ।
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